उत्तर प्रदेश: यूपी के स्वास्थ्य और महिला कल्याण विभाग के लिए एक गंभीर समस्या उभरी है। हाल ही में एक साइबर अटैक के चलते राज्य की तीन लाख निराश्रित महिला पेंशनरों का डाटा गायब हो गया है। इस गंभीर तकनीकी चूक के कारण, जुलाई महीने की पेंशन भी लाभार्थियों तक नहीं पहुंच पाई है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति पर प्रभाव पड़ा है।
साइबर अटैक का प्रभाव
जुलाई में भेजी गई पेंशन की किस्त के भुगतान में देरी का मुख्य कारण आधार प्रमाणीकरण एजेंसी के सर्वर पर हुआ साइबर अटैक है। इस अटैक के चलते प्रदेश भर के तीन लाख निराश्रित महिला पेंशनरों का डाटा पूरी तरह से गायब हो गया है। इनमें कानपुर देहात जिले की 2097 निराश्रित महिलाएं भी शामिल हैं।
आधार प्रमाणीकरण एकाउंट प्रणाली के तहत निराश्रित महिलाओं को प्रत्येक तीन माह में पेंशन प्रदान की जाती है। इस प्रणाली का उद्देश्य पेंशन का भुगतान सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में सुनिश्चित करना है। लेकिन, इस बार साइबर अटैक के कारण यह व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई है।
तकनीकी टीम की असफलता
साइबर अटैक के बाद तकनीकी टीम और आईटी इंजीनियरों ने डाटा रिकवरी के लिए कई प्रयास किए, लेकिन वे असफल रहे। डाटा का रिकवरी न हो पाने के कारण अब लाभार्थियों को दोबारा आधार प्रमाणीकरण कराना होगा।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
जिला प्रोबेशन अधिकारी रेनू यादव ने बताया कि इस समस्या के समाधान के लिए सभी संबंधित बीडीओ और एसडीएम को पत्र भेजा गया है। हालांकि, भेजी गई सूची में गलती के कारण निराश्रित महिलाओं के बजाय दिव्यांगों की सूची भेजी गई है, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है।
डीएम कानपुर देहात आलोक सिंह ने पुष्टि की कि आधार प्रमाणीकरण के लिए नए निर्देश दिए गए हैं और सभी संबंधित अधिकारियों को इसके लिए सचेत किया गया है। उन्होंने आश्वस्त किया कि इस समस्या का समाधान प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा और जल्द ही लाभार्थियों को उनका भुगतान मिलेगा।
लाभार्थियों की परेशानियाँ
इस बीच, लाभार्थियों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पेंशन न मिलने के कारण कई निराश्रित महिलाओं की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है। इन महिलाओं को दोबारा आधार प्रमाणीकरण के लिए जनसेवा केंद्रों की ओर दौड़-धूप करनी पड़ेगी, जो कि उनके लिए एक अतिरिक्त बोझ है।
साइबर अटैक के कारण निराश्रित महिला पेंशनरों का डाटा गायब होना प्रशासन और तकनीकी एजेंसियों की कार्यक्षमता पर सवाल खड़ा करता है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि कैसे तकनीकी सुरक्षा उपायों की कमी किसी भी सरकारी योजना को विफल कर सकती है। उम्मीद है कि प्रशासन इस स्थिति को जल्द ठीक करेगा और पेंशन भुगतान की प्रक्रिया को सुचारू रूप से पुनः शुरू करेगा।
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