अमितेश सिंह ‘नंदू’ उन्नाव से लोकसभा सांसद साक्षी महाराज का कथित तौर पर लोकसभा प्रतिनिधि है। पिछले 6-7 वर्षों से वह दिल्ली और उन्नाव में साक्षी महाराज के साथ साये की तरह देखा जाता है। हाल ही में, शुक्रवार को एक गंभीर घटना ने उसकी पहचान को और विवादित बना दिया।
घटना का विवरण
शुक्रवार को, अमितेश सिंह ने उन्नाव जनपद में मोटरसाइकिल पर जा रहे दो लोगों पर अपनी फॉर्च्यूनर चढ़ा दी। इस हादसे में एक व्यक्ति का पैर तुरंत कट गया और दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया। दोनों को सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया।
घटना के तुरंत बाद, अमितेश सिंह अपनी फॉर्च्यूनर और घायल लोगों को वहीं छोड़कर यूपी पुलिस के दो सरकारी गनर के साथ फरार हो गया। उन्नाव पुलिस ने मौके पर पहुंचकर घायलों को अस्पताल पहुंचाया और गाड़ी को अपने कब्जे में लेकर उस पर कार्यवाही शुरू की।
अमितेश सिंह की भूमिका और प्रशासनिक दबाव
वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह सवाल उठता है कि जब आवश्यक कार्यवाही की जा रही है, तो अमितेश सिंह को निशाना क्यों बनाया जा रहा है? इसका सीधा जवाब यह है कि पीड़ितों को धमकाया जा रहा है। एक व्यक्ति जिसका पैर कट गया है और जो कभी दो टांगों पर नहीं चल पाएगा, उसे सीओ और एसपी लेवल के अधिकारी समझौते का दबाव बना रहे हैं।
उन्नाव जिले का पूरा प्रशासन सत्ता के दबाव में जाति से ओबीसी और कानूनी रूप से निरक्षर गरीबों को एफआईआर नहीं किए जाने को लेकर दबाव डाल रहा है। हालांकि, सबूतों के बावजूद उन्नाव पुलिस ने एफआईआर में अमितेश सिंह ‘नंदू’ का नाम नहीं डाला है। घटनास्थल पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि गाड़ी खुद नंदू चला रहा था और गाड़ी में अवैध हूटर भी ऑन था।
मीडिया का रुख और सार्वजनिक प्रतिक्रिया
अमितेश सिंह के प्रभाव के चलते उन्नाव जिले के किसी भी अखबार ने इस घटना को रिपोर्ट करते हुए नंदू का नाम नहीं डाला। स्थानीय पत्रकारों और रिपोर्टरों से पूछे जाने पर गोलमोल जवाब ही मिले हैं।
साक्षी महाराज ने भी नंदू से अपना पलड़ा झाड़ते हुए कहा कि न तो नंदू उनका जनपद प्रतिनिधि है और न ही उनका उससे कोई संबंध है। हालांकि, उन्नाव जनपद के लोग अच्छे से जानते हैं कि साक्षी महाराज और नंदू का चोली दामन का साथ है।
साक्षी महाराज और नंदू के रिश्ते
नंदू ने हाल ही में अपना इंस्टाग्राम अकाउंट डिलीट कर दिया है, जिसमें वह साक्षी महाराज के साथ कई मौकों पर निजी पल बिताते नजर आ रहा था। हालांकि, हमारे पास उनकी कुछ तस्वीरें हैं जो इन अतरंग संबंधों को दर्शाती हैं। जो आप इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं।
https://x.com/rajkiyasamachar/status/1819933571571745124?t=sE6QAWQKbXKX-fDopKXWDA&s=19
प्रशासनिक सवाल
दूसरा बड़ा सवाल यूपी पुलिस और उन्नाव के कप्तान से है कि उन्होंने किस आधार पर नंदू को पुलिस सुरक्षा दे रखी है और इस हादसे के बाद भी उसे क्यों गिरफ्तार नहीं किया गया है? पीड़ित गरीब हैं और उन्हें धमकाया जा रहा है। उनके पास पैसे नहीं हैं और प्रशासन की गुंडई के सामने उनकी कोई मदद भी नहीं हो रही है।
इस घटनाक्रम ने स्पष्ट कर दिया है कि सत्ता के दबाव में कानून का पालन नहीं हो रहा है और पीड़ितों को न्याय नहीं मिल रहा है।