चित्रकूट, उत्तर प्रदेश की जेलों में कैदियों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में, चित्रकूट जिला जेल में एक कैदी की मौत ने न केवल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि जेल में सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर भी चिंताएँ पैदा कर दी हैं। मानिकपुर थाना क्षेत्र के गढ़चपा निवासी कल्लू पुत्र तिलक राज विश्वकर्मा (50) की अचानक मौत ने कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं।
मौत का दिन
शुक्रवार की सुबह, जेल में बंद कल्लू की तबीयत अचानक बिगड़ गई। उसे सीने में तेज दर्द की शिकायत हुई, जिसके बाद उसे जेल में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। स्वास्थ्य केंद्र में उपचार के बावजूद जब कोई सुधार नहीं हुआ, तो डॉक्टरों ने उसे तत्काल जिला अस्पताल रेफर कर दिया। दुर्भाग्यवश, अस्पताल ले जाते समय ही रास्ते में उसकी मौत हो गई।
कैदी के बारे में जानकारी
कल्लू अपने बेटे शुभम के साथ आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। शुभम ने ही जेल अधिकारियों को अपने पिता की तबीयत बिगड़ने की सूचना दी थी। जेल अधीक्षक शशांक पांडेय के अनुसार, शुभम ने सुबह करीब 9 बजे सूचना दी कि उसके पिता को सीने में दर्द हो रहा है। इसके बाद डॉक्टरों की टीम ने कल्लू का इलाज शुरू किया, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। डॉक्टरों ने प्रारंभिक जांच में मौत का कारण हार्ट अटैक बताया है।
प्रशासनिक प्रतिक्रियाएँ
इस घटना के बाद चित्रकूट पुलिस ने शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। हालांकि, इस मौत ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिला जेल में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और कैदियों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई जा रही है। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि घटना की विस्तृत जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जेल व्यवस्थाओं पर उठे सवाल
इस घटना ने एक बार फिर जेल की व्यवस्थाओं को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। जेल में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और कैदियों के प्रति लापरवाही की खबरें अक्सर सामने आती रहती हैं। जेल प्रशासन की ओर से कहा जा रहा है कि हर संभव प्रयास किया गया था, लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि अगर व्यवस्थाएँ बेहतर होतीं तो शायद कल्लू की जान बचाई जा सकती थी।
डीएम, एसपी और जिला जज की जिम्मेदारी
ऐसे समय में जब जिले के डीएम, एसपी, और जिला जज नियमित रूप से जेल का निरीक्षण करते हैं, एक कैदी की इस तरह से मौत होना गंभीर चिंता का विषय है। प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी लगातार जेल का निरीक्षण करते हैं और सुधार के दावे भी किए जाते हैं, लेकिन इस घटना ने प्रशासन के इन दावों की पोल खोल दी है।
जेल प्रशासन का पक्ष
जेल अधीक्षक शशांक पांडेय ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने अपनी तरफ से सभी प्रयास किए, लेकिन दुर्भाग्यवश कल्लू की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद जेल में स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने के प्रयास किए जाएंगे। जेल प्रशासन के अनुसार, सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
आगे की कार्यवाही
प्रशासन की ओर से यह आश्वासन दिया गया है कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत के सही कारणों का पता चल सकेगा। इसके साथ ही, जेल में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने और सुरक्षा व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद करने के लिए विशेष टीम गठित की जाएगी।
निष्कर्ष
कल्लू की मौत ने न केवल जेल प्रशासन, बल्कि पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि जेलों में बंद कैदियों को भी उचित स्वास्थ्य सेवाएं मिलनी चाहिए। एक बेहतर और सुरक्षित जेल प्रणाली ही समाज में न्याय और सुरक्षा की गारंटी दे सकती है। प्रशासन को चाहिए कि वे इस घटना से सबक लेकर जेल व्यवस्थाओं में सुधार करें, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हो।
जेलों में स्वास्थ्य सेवाओं और सुरक्षा व्यवस्थाओं में सुधार की जरूरत है ताकि कैदियों को उनकी सजा के अलावा किसी और समस्या का सामना न करना पड़े।