चित्रकूट पुलिस की फर्जी आख्या समस्या: सत्ताधारी पार्टी के लिए बन रही बड़ी मुसीबत

DESK
5 Min Read

चित्रकूट जिले की पुलिस की कारगुजारियां अब प्रदेश भर में चर्चा का विषय बन चुकी हैं। हाल ही में, चित्रकूट पुलिस को आइजीआरएस पोर्टल पर की गई शिकायतों के निस्तारण में पूरे प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त हुआ था। हालांकि, जब सच्चाई की परतों को हटाया गया, तो तस्वीर कुछ और ही नजर आई। शिकायतों का निस्तारण फर्जी आख्या लगाकर किया जा रहा है, जिससे सत्ताधारी पार्टी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।

फर्जी आख्या का खेल: शिकायतों का निस्तारण

चित्रकूट पुलिस द्वारा शिकायतों के निस्तारण में जिस तरह की अनियमितताएँ सामने आ रही हैं, वो वाकई चिंता का विषय हैं। हमारी टीम की जांच में पाया गया कि लगभग 70% शिकायतों में फर्जी आख्या लगाकर निस्तारण किया जाता है। इसका सीधा असर जनता पर पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि सरकार गरीबों की समस्याओं की सुनवाई नहीं कर रही है।

इन शिकायतों के फर्जी निस्तारण से नागरिकों की समस्याएँ हल नहीं हो रही हैं और इसका सीधा असर समाज में अविश्वास और असंतोष के रूप में देखने को मिल रहा है। जो समस्याएँ असल में गंभीर हैं, उनका समाधान करने के बजाय पुलिस ने उन्हें कागजों पर ही निपटा दिया है, जिससे स्थिति और भी खराब हो गई है।

पुलिस मुख्यालय का ढीला शासन

चित्रकूट पुलिस मुख्यालय से जुड़ी समस्याएँ इस मुद्दे की जड़ों में गहरी हैं। पुलिस मुख्यालय की ढीली व्यवस्था के कारण जिले में प्रतिदिन कई शिकायतों पर फर्जी आख्या लगाकर निस्तारण कर दिया जाता है। पुलिस का यह रवैया न केवल कानून के प्रति अनदेखी है, बल्कि यह सत्ताधारी पार्टी के लिए भी एक बड़ा सिरदर्द बन चुका है।

पुलिस द्वारा शिकायतकर्ताओं पर दबाव डालकर समझौता करवा दिया जाता है, जिससे वास्तविक समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता। यह स्थिति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेशों के विपरीत है, जिनके अनुसार सरकारी कार्यालयों को दलाल-मुक्त किया जाना चाहिए था।

दलालों का जमावड़ा और रिश्वत का खेल

चित्रकूट प्रशासन में दलालों का प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है। सरकारी कार्यालयों में दलालों की उपस्थिति और उनका रिश्वत लेने का खेल अब आम बात हो गई है। जब भी किसी शिकायतकर्ता को न्याय की उम्मीद होती है, उसे दलालों के साथ अवैध लेन-देन का सामना करना पड़ता है।

थाना इंचार्ज या हलका इंचार्ज की सलाह पर ये दलाल रिश्वत की रकम तय करते हैं, जिससे शिकायतकर्ता को न्याय मिलना मुश्किल हो जाता है। इस अवैध वसूली के चलते, सामान्य नागरिकों को कई बार परेशानियों का सामना करना पड़ता है और उनके अधिकारों की अनदेखी की जाती है।

अवैध वसूली और बैरीगेटिंग का खेल

चित्रकूट पुलिस की अवैध वसूली की प्रवृत्ति अब सार्वजनिक रूप से सामने आ रही है। बैरीगेटिंग के दौरान ओवरलोड ट्रकों और भारी वाहनों से अवैध वसूली की जाती है। उदाहरण के तौर पर, मानिकपुर से प्रयागराज की ओर जाने पर सरैया से बोरीपोखरी तक जाने के लिए 300 रुपये और ऐंचवारा से कर्वी-प्रयागराज हाईवे पकड़ने पर 200 रुपये की अवैध वसूली की जाती है।

https://twitter.com/rajkiyasamachar/status/1813121509856321660?t=6dELFGifZ03wg0ZzIQreqA&s=19

इस प्रकार की अवैध वसूली से सड़क यात्रा करने वाले लोगों को अतिरिक्त खर्च का सामना करना पड़ता है, और यह स्थिति सड़क पर सुरक्षा और कानून व्यवस्था की गुणवत्ता को भी प्रभावित करती है।

प्रशासनिक सुधार की आवश्यकता

चित्रकूट: झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार, गरीबों की जान के साथ कर रहे खिलवाड़

चित्रकूट पुलिस की इन समस्याओं ने अब प्रशासन के सामने एक गंभीर चुनौती पेश की है। अगर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। सत्ताधारी पार्टी और प्रशासन को चाहिए कि वे इस मामले की गंभीरता को समझें और आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाएं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। पुलिस और प्रशासन को पारदर्शिता और ईमानदारी की दिशा में काम करना होगा ताकि जनता का विश्वास वापस लौट सके।

चित्रकूट पुलिस की समस्याएँ न केवल स्थानीय नागरिकों के लिए बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक चुनौती बन चुकी हैं। इसका समाधान केवल प्रभावी प्रशासनिक सुधार और सख्त कार्रवाई से ही संभव है। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि प्रशासन इन समस्याओं का सामना कैसे करता है और क्या ठोस सुधार कर पाता है।

इस प्रकार, चित्रकूट पुलिस की अनियमितताएँ और अवैध गतिविधियाँ प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी के लिए एक बड़ा सिरदर्द साबित हो रही हैं। इसकी गहराई को समझते हुए प्रभावी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है ताकि जनता को न्याय मिल सके और प्रशासन की विश्वसनीयता बहाल हो सके।

Share this Article
Leave a comment